Sunday, May 17, 2009

Piyush Mishra 's brilliant interpretation of the nostalgic Sarfaroshi Ki Tamanna by Bismil. The lyrics are a brilliant sarcasm on the youth of today! 

True of not, decide for yourself

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 
देखना है जोर कितना बाज़ुवे कातिल मैं है 
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्मां 
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल मैं है

ओरे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दुस्तान
देखते की मुल्क सारा क्या टशन क्या चिल्ल में है 
आज का लौंडा यह कहता हम तो बिस्मिल थक गए 
अपनी आज़ादी तो भैया लौंडिया के दिल में है 

आज के जलसों में बिस्मिल एक गुंगा गा रहा, 
और बहरों का वो रेला नाचता महफिल में है.
हाथ की खादी बनाने का ज़माना लद्द गया,
आज तो चड्ढी भी सिलती इन्ग्लिशों की मिल में है. 

देखना है जोर कितना बाज़ुवे कातिल मैं है

No comments: